मुख्यमंत्री का संदेश महंत को सौंपा गया
जालोर , राजस्थान , सहयोग मंत्रा। गुरु-शिष्य परंपरा की समृद्ध विरासत को सहेजते हुए जालोर जिले में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अभूतपूर्व धार्मिक उत्साह और भक्ति का वातावरण देखने को मिला. जिलेभर के मंदिरों, मठों और शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. सुबह पांच बजे से ही लोग अपने गुरुओं के दर्शन और आशीर्वाद के लिए कतारबद्ध नजर आए. श्रद्धा, समर्पण और संस्कृति का ऐसा अद्भुत संगम वर्षों बाद दिखाई दिया.
मुख्य सचेतक पहुंचे भैरुनाथ अखाड़ा, मुख्यमंत्री का संदेश महंत गंगानाथ महाराज को सौंपा.
राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग इस अवसर पर भैरुनाथ अखाड़ा पहुंचे और उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा भेजा गया ‘गुरुवंदन संदेश’ पढ़कर सुनाया. इसके पश्चात उन्होंने यह संदेश महंत गंगानाथ महाराज को सौंपा. मुख्यमंत्री के संदेश में गुरु परंपरा की महिमा, भारतीय संस्कृति में गुरु की भूमिका और चरित्र निर्माण में गुरुओं के योगदान का उल्लेख किया गया था. इस दौरान श्रद्धालुओं ने तालियों और जयकारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया.
सिरे मंदिर पर जलंधरनाथ महादेव और शांतिनाथ महाराज के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु
गुरु पूर्णिमा पर कन्यागिरी पर्वत स्थित सिरे मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. जलंधरनाथ महादेव और गुरु पीर शांतिनाथ महाराज के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं. महिलाएं कीर्तन मंडलियों के साथ मंदिर परिसर में गुरु भक्ति में लीन रहीं. श्रद्धालुओं ने पुष्प अर्पण कर, धूप-दीप जलाकर, और मंत्रोच्चार के साथ अपने आराध्य गुरु के चरणों में नमन किया.
पूरे जालोर में मंदिरों और मठों में हुआ गुरु पूजन, प्रमुख संतों ने दिया आशीर्वाद
गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर जिले के प्रमुख मठों व आश्रमों में विशेष पूजा-अर्चना और प्रवचन सभाएं आयोजित की गईं.
भैरुनाथ अखाड़ा में महंत गंगानाथ महाराज ने गुरु के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। हल्देश्वर मठ में मोहननाथ महाराज, पिपलेश्वर मठ में रछोड़ भारती महाराज, जागनाथ मठ में महंत महेन्द्र भारती महाराज, मल्केश्वर मठ में सेवा भारती महाराज द्वारा गुरु पूजा के माध्यम से श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान किया गया. सभी मठों को भव्य रूप से फूल-मालाओं, ध्वज-पताकाओं और दीपमालाओं से सजाया गया था. भक्तों ने अपने गुरुओं के चरणों में बैठकर ज्ञान, सेवा और तप की शिक्षाएं ग्रहण कीं.
भक्ति गीतों और जयकारों से गूंज उठा जालोर
शहर की गलियों से लेकर मठों और मंदिरों तक हर ओर गुरु भक्ति की गूंज सुनाई दी. भक्तों ने “गुरु बिना ज्ञान नहीं”, “जय पीर शांतिनाथ महाराज”, “गुरु सेवा ही सच्चा धर्म है” जैसे जयकारों के साथ प्रभात फेरी और कीर्तन यात्रा निकाली. कई स्थानों पर भंडारे, प्रसादी वितरण, कथा-प्रवचन आदि का आयोजन किया गया.
गुरु शरण में पहुंची नई पीढ़ी, बच्चों और युवाओं ने भी किया सहभाग
इस बार की गुरु पूर्णिमा की खास बात रही कि बच्चों और युवाओं की भागीदारी भी अधिक रही. विद्यालयों में विशेष गुरुवंदन सभाएं आयोजित की गईं और विद्यार्थियों ने अपने अध्यापकों और आध्यात्मिक गुरुओं को वंदन कर आशीर्वाद लिया. यह संकेत देता है कि गुरु परंपरा सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आज की पीढ़ी का भविष्य निर्माण का आधार बन रही है.
गुरु पूर्णिमा का यह आयोजन यह सिद्ध करता है कि जालोर की भूमि सिर्फ रणबांकुरों की नहीं, बल्कि ऋषियों, मुनियों और संतों की भी रही है. यहां गुरु-शिष्य परंपरा आज भी जीवित और जागृत है. यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का सशक्त माध्यम बन चुका है.
- श्रवण कुमार ओड