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Ambedkar Nagar News : दरगाह क्षेत्र में अवैध नर्सिंग होम और क्लीनिकों का मकड़जाल, स्वास्थ्य विभाग मौन

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अंबेडकर नगर, सहयोग मंत्रा। अशरफपुर किछौछा  नगर पंचायत क्षेत्र प्रसिद्ध दरगाह क्षेत्र अशरफपुर किछौछा में अवैध और मानकविहीन नर्सिंग होमो तथा क्लीनिकों का जाल दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। बिना किसी पंजीयन, डिग्री या योग्य चिकित्सा स्टाफ के ये संस्थान मरीजों का इलाज कर रहे हैं और विभागीय लापरवाही के चलते लोगों की जान से खिलवाड़ खुलेआम जारी है।


100 से अधिक अवैध क्लीनिक, विभाग बना मूकदर्शक

सूत्रों की मानें तो क्षेत्र में करीब 100 के आसपास अवैध नर्सिंग होम और क्लीनिक संचालित हो रहे हैं। इन स्थानों पर मेडिकल स्टोर के लाइसेंस के दम पर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं और इंजेक्शन से लेकर ऑपरेशन तक किए जा रहे हैं। पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटरों का हाल भी कुछ अलग नहीं—सिर्फ जांच के नाम पर मोटी रकम की वसूली की जा रही है।

 कार्यवाही या सिर्फ खानापूर्ति?

हाल ही में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के संज्ञान में मामला आने के बाद सभी संचालकों को नोटिस जारी किए गए, दस्तावेज कार्यालय में मंगवाए गए और जाँच की प्रक्रिया शुरू की गई। लेकिन यह प्रक्रिया भी अब सवालों के घेरे में है—क्योंकि अब तक न कोई बड़ा खुलासा हुआ और न ही किसी प्रतिष्ठान पर ठोस कार्रवाई। चर्चा है कि यह पूरी कवायद सिर्फ वसूली तक सीमित रह गई है।

"चौकीदार ही चोर"की स्थिति

जिन चिकित्साधिकारियों और सीएचसी अधीक्षकों को छापेमारी के लिए टीम में शामिल किया गया है, वे पहले से ही कई संचालकों से 'सेटिंग' कर चुके हैं। ऐसे में वे उन्हीं संस्थानों पर कार्रवाई कैसे कर सकते हैं जो उनकी विशेष सरपरस्ती में फल-फूल रहे हैं?

जिलाधिकारी ने गठित की टीमें, लेकिन असर नहीं

हालांकि जिलाधिकारी द्वारा अवैध संस्थानों पर शिकंजा कसने के लिए नई टीमें गठित की गई हैं, लेकिन अब तक कहीं भी प्रभावशाली छापेमारी देखने को नहीं मिली। अपवाद स्वरूप एक-दो जगहों पर कार्रवाई जरूर हुई है, पर व्यापक स्तर पर कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए।

 क्या दरगाह मैं आए हुए मेलार्थियों को मिलेगी राहत?

यह सवाल अब आम जनमानस के बीच गूंज रहा है कि जब जिम्मेदार ही अपनी भूमिका से भाग रहे हैं, तो फिर कार्रवाई कौन करेगा? अगर स्वास्थ्य विभाग वाकई में गंभीर है तो उसे दरगाह क्षेत्र में संचालित सभी अवैध क्लीनिक, नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटरों की गहन जांच कराकर जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी। तभी यहां आने वाले मरीजों और जायरीनों को किसी प्रकार की राहत मिल सकती है।

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