अंबेडकर नगर, सहयोग मंत्रा । विकास खंड भियांव के ग्राम पंचायत बरौना में मनरेगा योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर ग्राम सभा बरौना से जुड़ी एक अहम खबर ने आखिरकार असर दिखा ही दिया। कुछ दिन पूर्व श्रीराम यादव के चक से सतीश चौधरी के चक तक चकमार्ग पर मिट्टी पटाई कार्य के दौरान बड़ा घोटाला सामने आया।
मास्टर रोल में 48, ज़मीनी हकीकत में कार्य स्थल मजदूर कम!
12 जुलाई 2025 को कार्य स्थल पर कम मजदूर काम कर रहे थे, जबकि मनरेगा पोर्टल और मास्टर रोल पर 48 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। खबर प्रकाशित होने के बाद 13 जुलाई को आनन-फानन में वेबसाइट पर मजदूरों की संख्या घटाकर 40 कर दी गई जिसमें 8 मजदूर घटा दिए गए।
नोटिस जारी, फिर भी नहीं बदली कार्यशैली
विकास खंड अधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए 13 जुलाई को ग्राम पंचायत बरौना के तकनीकी सहायक रामगती (एपीओ), ग्राम सचिव सुरजीत यादव एवं रोजगार सेवक को नोटिस जारी किया। इसके बावजूद 15 जुलाई को 32 मजदूरों का नया मास्टर रोल बना दिया गया। पिछली संख्या की तुलना में 8 मजदूर घटा दिए गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कागजों पर मजदूरों की संख्या बढ़ाकर फर्जी भुगतान का खेल जारी है।
जिम्मेदारी से भागते एपीओ, कार्रवाई सिर्फ सचिव तक सीमित?
मामले में ग्राम सचिव सुरजीत यादव को निशाने पर लिया जा रहा है, जबकि मनरेगा योजनाओं की निगरानी व क्रियान्वयन की सीधी जिम्मेदारी तकनीकी सहायक (एपीओ) रामगती की होती है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि एपीओ रामगती खुद को बचाने के लिए सारा दोष ग्राम सचिव पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं।
डीसी मनरेगा पर उठ रहे सवाल
अब निगाहें जिले के डीसी मनरेगा पर टिकी हैं कि क्या वह निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करेंगे या फिर खानापूर्ति कर भ्रष्टाचार को खुली छूट दे देंगे।
क्या भियांव में मनरेगा सिस्टम हो गया है राम भरोसे?
बरौना जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि जनहित की यह योजना लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो मनरेगा का उद्देश्य ही खोखला हो जाएगा।
अब देखना यह होगा कि नोटिस के बाद अगला कदम क्या होता है – कार्रवाई या समझौता?