अम्बेडकर नगर, सहयोग मंत्रा | जनपद के विकास खंड अकबरपुर अंतर्गत ग्राम सभा सिकरोहर में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस मामले में गांव के जागरूक नागरिकों द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिससे शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
मुख्य आरोप और गड़बड़ियां इस प्रकार हैं:
रात में हाजिरी, दिन में सन्नाटा:
मनरेगा के दिशा-निर्देशों के अनुसार मजदूरों की उपस्थिति कार्य के समय के दौरान ही दर्ज होनी चाहिए। लेकिन सिकरोहर ग्राम सभा में मजदूरों की हाजिरी रात 8 बजे के आसपास लगाई जा रही है। दिन में जब साइट पर जाकर देखा गया, तो वहां कोई मजदूर नहीं मिला।
फर्जी फोटो अपलोड:
बताया जा रहा है कि 300 से अधिक मजदूरों की हाजिरी मास्टर रोल पर चढ़ाई जा रही है, लेकिन वेबसाइट पर अपलोड की गई तस्वीरों में मात्र 8–10 लोगों को ही काम करते हुए दिखाया गया है। यही तस्वीरें बार-बार घुमा-फिराकर अलग-अलग तारीखों और कार्यों में दोहराई जा रही हैं।
चक मार्ग का कार्य, खड़ंजा की फोटो:
जमीनी हकीकत और ऑनलाइन विवरणों में भारी अंतर है। वेबसाइट पर चक मार्ग निर्माण दिखाया गया है, लेकिन जो तस्वीरें अपलोड की गई हैं, वे खड़ंजा (ईंट बिछाने) की हैं। हैरानी की बात यह है कि यही तस्वीरें पहले भी कई बार अन्य योजनाओं में प्रयोग हो चुकी हैं।
जेसीबी से कार्य, मजदूर गायब:
सूत्रों का दावा है कि साइट पर अधिकांश कार्य जेसीबी से कराया जा रहा है, जबकि मनरेगा के नियमों के अनुसार, यह योजना मजदूरों को रोजगार देने के लिए बनाई गई है। बावजूद इसके, मशीनों से काम कराकर मजदूरों की फर्जी उपस्थिति दर्शाकर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने इस पूरे प्रकरण में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो इसमें शामिल अधिकारियों, ग्राम प्रधान व संबंधित कर्मचारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले को कितनी गंभीरता से लेता है , क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?