अम्बेडकरनगर, सहयोग मंत्रा।
जहां उत्तर प्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में 18 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति का दावा कर रही है, वहीं अम्बेडकरनगर जनपद में जमीनी हकीकत सरकार के इन दावों को कटघरे में खड़ा कर रही है. विद्युत उपखंड बरवां वैरमपुर फीडर, पहती पूरी फीडर और रामनगर फीडर से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग लगातार अघोषित बिजली कटौती से परेशान हैं. क्षेत्रीय नागरिकों के अनुसार, सुबह-शाम तीन-तीन घंटे की कटौती अब आम बात हो गई है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
फीडर पर मनमानी कटौती, JE और SSO पर गंभीर आरोप
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि अवर अभियंता (JE) महेंद्र पटेल द्वारा रोस्टर के नाम पर मनमाने ढंग से बिजली काटी जाती है. वहीं फीडर का संचालन कर रहे SSO विजय कुमार पर भी हर आधे घंटे में बिजली शटडाउन देने के गंभीर आरोप लगे हैं.
संविदा कर्मियों की मनमानी, प्राइवेट लाइनमैनों से फॉल्ट सुधार
सबसे गंभीर आरोप संविदा लाइनमैन जितेंद्र कुमार पर लगे हैं, जो पिंटू, छोटू, मुकेश, गया दीन और घनश्याम नामक प्राइवेट लोगों से फॉल्ट ठीक करवा रहे हैं. ग्रामीणों का सवाल है कि जितेंद्र कुमार की तनख्वाह कितनी है जो इतने प्राइवेट लाइनमैनों को भुगतान कर सकता है? क्या यह उपभोक्ताओं से अवैध वसूली का मामला नहीं है?
24 घंटे में 60 बार ट्रिपिंग, बिजली आपूर्ति केवल कागजों में
ग्रामीणों का आरोप है कि SSO विजय कुमार के पास रहने वाला हाइडील नंबर 8004918425 तथा लाइनमैन जितेंद्र कुमार का नंबर 9838593023 उपभोक्ताओं की कॉल पर या तो बंद रहता है या कॉल रिसीव नहीं की जाती. हालात यह है कि 24 घंटे में लगभग 60 बार ट्रिपिंग होती है, जिसमें हर बार औसतन 15–20 मिनट की बिजली बाधित रहती है. ऐसे में वास्तविक बिजली आपूर्ति कितनी हो रही है, यह समझा जा सकता है.
जिम्मेदार अधिकारी क्यों हैं चुप?
लोगों का कहना है कि JE महेंद्र पटेल और SDO की जानकारी में यह सब कुछ होना स्वाभाविक है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. क्या अधिकारी जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं या वे भी इस व्यवस्था का हिस्सा बन चुके हैं?
सरकारी दावे बनाम हकीकत
यह मामला सिर्फ बरवां वैरमपुर या एक फीडर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रदेश में बिजली व्यवस्था और सरकार के दावों की पोल खोलता है. सवाल यह है कि जब सरकार 18 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा कर रही है तो यह अघोषित कटौती किसके आदेश पर की जा रही है?
जनता का सवाल , आखिर कब मिलेगी राहत?
लगातार की जा रही शिकायतों के बावजूद विभागीय चुप्पी ने जनता का आक्रोश बढ़ा दिया है. नागरिकों का कहना है कि जनता के पैसों से वेतन लेने वाले कर्मचारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.
"आखिर कब खत्म होगी यह मनमानी बिजली कटौती? और कब मिलेगी हमें पूरी बिजली?"