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सीवर के लिए कर रहे काम के दौरान मजदूर की दबकर हुई मौत का कौन हैं जिम्मेदार?

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मजदूर की मौत के बाद सुरक्षा को लेकर सेफ्टी पर उठे सवाल..

क्या सम्बन्धित विभाग और उनके ठेकेदार सामाजिक श्रमिक सुरक्षा के तहत मजदूरों से कराते है कार्य...

सीवर में मजदूर की मौत के बाद उसके परिवार का कैसे होगा लालन पालन....

जौनपुर, सहयोग मंत्रा। नगर के अहमद खां मंडी में चल रहे अमृत योजना के अंतर्गत सीवर ट्रीटमेंट प्लान्ट के लिए काम कर रहे गैर जनपद मजदूर की दबने से दर्दनाक मौत हो गई। बताया जा रहा हैं कि तीन घण्टे चले रेस्क्यू आपरेशन के बाद दो जेसीबी की मदद से मजदूर को गढ्ढे से बाहर निकाला गया लेकिन तब तक उसकी दर्दनाक मौत हो चुकी थी। बताते चलें कि मृतक मजदूर का नाम रिजवान बताया गया जो उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले का रहने वाला था जो मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। जिसकी मौत के बाद परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़।

बताया जा रहा हैं कि तकरीबन दस फिट गहरे गड्ढे में मजदूर मिट्टी सही कर रहा था कि इसी दौरान ऊपर से मिट्टी भरभरा कर उसके उपर गिर गई और उसी में दबकर उसकी दर्दनाक मौत हो गई।

लोगो का कहना यह भी है कि अगर समय रहते उसे गहरे गढ्ढे से निकाल लिया गया होता तो शायद आज वह जिंदा होता। हालांकि घटना की जानकारी होते ही शहर कोतवाल मिथिलेश मिश्रा और थाना लाइन बाजार कोतवाल संजय वर्मा अपनी पूरी टीम के साथ मौके पर पहुँच गए और मजदूर को बाहर निकालने का काम शुरू किया गया किसी तरह से मजदूर को गढ्ढे से बाहर निकाला गया और जिला अस्पताल भेजा गया। जहाँ डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वही स्थानीय नागरिकों का यह भी कथन हैं कि सीवर के लिए खोदे जा रहे गढ्ढे के लिए सुरक्षा का कोई इंतजाम नही था। जहाँ रात के आठ बजे तक मजदूर काम करते दिखाई देते थे लेकिन उनके पास रोशनी का कोई भी इंतजाम ना होने के कारण किसी तरह से मोबाइल की रोशनी में देर शाम तक मजदूर काम करते थे। लोगो का कहना तो यह भी है कि इस हादसे का जिम्मेदार कही ना कही सम्बन्धित विभाग और ठेकेदार ही हैं।

वही दूसरी तरफ एसपी सिटी बृजेश कुमार द्वारा यह सफाई दिया गया कि सीवर के लिए हो रहे काम में सेफ़्टी का पूरा इंतज़ाम था। जिस पर यह सवाल उठना लाज़मी हैं कि उसके बाद भी मजदूर की गढ्ढे में दबकर मौत कैसे हो गई? जो लोगों में बना चर्चा का विषय। बताते चलें कि यदि सुरक्षा की बात की जाए तो प्रत्येक मजदूर को सुरक्षा के दृष्टिगत सेफ्टी बेल्ट की आवश्यकता होती हैं जिससे कोई भी मजदूर गहरे गढ्ढे में गिरने से बच सके और किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना ना घटित हो सके।

सवाल यह उठता है कि क्या गढ्ढे में दबकर मौत का शिकार हुए मजदूर को सेफ्टी बेल्ट दिया गया था?

वहीं इस घटना को लेकर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक राकेश कुमार सिंह ने बताया कि जब मैं शाम चार बजे के लगभग स्कूल से आया तो पता चला कि लगभग चार बजे सीवर के लिए काम कर रहा एक मजदूर गहरे गढ्ढे में दब गया है जिसकी जानकारी प्रशासन को नहीं थी मेरे द्वारा सूचना देने पर पहुँची पुलिस द्वारा जेसीबी बुलाकर मजदूर को गढ्ढे से निकालने की कोशिश की गई। शिक्षक द्वारा यह भी बताया गया कि यदि ठेकेदार द्वारा सुरक्षित संसाधन की उचित व्यवस्था की गई होती तो शायद आज इस तरह की घटना ना घटित होती।

बताया जा रहा है कि सम्बन्धित विभाग और ठेकेदार नहीं देते हैं मजदूरों की सुरक्षा का ध्यान, आखिर क्यों घटना के बाद आते हैं और ऐसे मामले से बचते नजर?

क्या सीवर लाइन की खोदाई में सुरक्षा मानकों से होता हैं खिलवाड़? क्या सम्बन्धित विभाग और उनके ठेकेदार मजदूरों की जिंदगियों को दांव पर लगाकर करा रहे हैं खोदाई का कार्य?

ऐसा माना जा रहा हैं कि सीवर में काम कर रहे मजदूरों के लिए ऊपर से दबाब बढ़ने पर मिट्टी धंसने के बाद मजदूरों के जीवन पर मंडराता हैं खतरा

सरकारी कार्य में सेफ्टी का पूरा इंतज़ाम बता पुलिस ने झाड़ा अपना पल्ला। अब देखना होगा कि सीवर लाइन निर्माण के दौरान मरे मजदूर के मामले में क्या दर्ज होगी रिपोर्ट?

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