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अम्बेडकर नगर: यूरिया के साथ "ऊर्जा" की जबरन बिक्री, किसानों के साथ छल

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यूरिया के साथ "ऊर्जा" की जबरन बिक्री, किसानों के साथ छल

अंबेडकरनगर। जिला प्रशासन के किसानों के हितों की रक्षा और उर्वरक की पारदर्शी आपूर्ति के दावों के बावजूद यूरिया वितरण में अनियमितताएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इंडोरामा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित "ऊर्जा" नामक उत्पाद को यूरिया के साथ जबरन बेचा जा रहा है, जिससे किसानों को दोहरा नुकसान हो रहा है—गुणवत्ता पर सवाल और आर्थिक बोझ। ग्रामीण इलाकों से लेकर कस्बों तक हर फुटकर खाद दुकान पर "ऊर्जा" का भारी स्टॉक देखा जा रहा है, और दुकानदार किसानों को यूरिया के साथ इसे खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं।किसानों का आरोप है कि दुकानदार उन्हें स्पष्ट कहते हैं कि "ऊर्जा" के बिना यूरिया नहीं मिलेगा। इससे उनकी मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है, और उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, जिले में "ऊर्जा" की बिक्री का कारोबार करोड़ों रुपये तक पहुंच चुका है। सवाल उठता है कि इतना बड़ा स्टॉक कहां से आ रहा है, और इसकी आपूर्ति और बिक्री का कोई रिकॉर्ड जिला प्रशासन के पास है या नहीं?पूर्व जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए "ऊर्जा" की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन उनके तबादले के बाद निगरानी में ढीलापन आ गया। नतीजतन, इस उत्पाद की आपूर्ति फिर से बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि "ऊर्जा" की गुणवत्ता संदिग्ध है, और इसकी वैज्ञानिक जांच की कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है। प्रशासन की चुप्पी और निगरानी की कमी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।

किसानों के सवाल, प्रशासन की जवाबदेही पर सवालिया निशान 

किसान अब जवाब मांग रहे हैं। उनके प्रमुख सवाल हैं:  

❓क्या जिला प्रशासन "ऊर्जा" के स्टॉक और बिक्री की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा?  

❓क्या इसकी गुणवत्ता की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को जागरूक किया जाएगा?  

❓क्या दोषी दुकानदारों और सप्लाई चेन में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी?

किसानों का कहना है कि सरकार जहां उनकी आय दोगुनी करने की बात करती है, वहीं जमीनी हकीकत में उनकी मेहनत और पूंजी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जिला कृषि अधिकारी इस मामले में अब तक गंभीर क्यों नहीं हुए? कहीं ऐसा तो नहीं कि इंडोरामा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपने प्रभाव से जिम्मेदार अधिकारियों को प्रभावित किया हो? या फिर कृषि अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई की तैयारी में हैं?

जांच और कार्रवाई की मांग

किसानों ने मांग की है कि जिला प्रशासन तत्काल इस मामले की जांच शुरू करे, "ऊर्जा" की गुणवत्ता का वैज्ञानिक परीक्षण कराए, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, उर्वरक वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। स्थानीय प्रशासन से अपेक्षा है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और किसानों के हितों की रक्षा करे। 

आगे क्या?

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। क्या किसानों को इस धोखाधड़ी से निजात मिलेगी, और क्या उर्वरक आपूर्ति में पारदर्शिता सुनिश्चित हो पाएगी? यह समय प्रशासन की जवाबदेही और किसानों के हक की लड़ाई का है।

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